छिंदवाड़ा,सौंसर।आज पूरे अंचल में नन्दी को दूध पिलाने की खबरें आती रही। इस घटना पर अंधश्रध्दा निर्मूलन समिति के पूर्व संगठक एस. आर. शेंडे ने प्रतिक्रिया में बताया कि,नन्दी का दूध या पानी पीना संभव नहीं है। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण है। संसार में कोई चमत्कार नहीं होता, बल्कि ऐसी घटनाएं कार्यकारण सिद्धांत पर आधारित होती है। नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने एक प्रयोग के जरिए किसी भी मूर्ति द्वारा दूध या पानी पीने की घटना की व्याख्या करते हुए सिध्द किया कि,कोई भी प्रतिमा दूध नहीं पीती। बल्कि द्रव्यों की गति ,पृष्ठ तनाव,आसंजन और सम्बद्धता जैसे भौतिक गुणों के कारण ऐसा प्रतीत होता है। पृष्ठ तनाव यानी सरफेस टेंशन द्रव्यों का वह गुण है जिससे वह अपने क्षेत्रफल को कम से कम बनाएं रखने क़ा प्रयास करता है।अगर किसी बन्द किये नल की टोंटी से टपकती बूँद को स्पर्श किया जाय तो वह सरक कर हाथ में आ जाती है। इसी प्रकार दूध से भरे चम्मच को बाहर निकली आकृति वाली मूर्ति से स्पर्श करें तो दूध का पृष्ठ तनाव ऊपर की ओर खींचता है।गुरुत्वाकर्षण के कारण दूध मूर्ति से नीचे की ओर सरक जाता है। आस्था के कारण नीचे जाते दूध पर ध्यान नहीं दिया जाता।
छिंदवाड़ा सौंसर।नन्दी का दूध पीना वैज्ञानिक कारण-शेंडे