राष्ट्रीय बालिका दिवस पर हदय के उदगार स्वरचित रचना की कुछ पंक्तियो के माध्यम से समर्पित कर रहा हूँ - लेखक योगेश्वरशर्मा जी
मेरे लिए तो खास है बेटियां,
मानो जीवन का सुखद एहसास है बेटियां।
चिड़ियों की चहक सी है बेटियां,
मोगरे की महक सी है बेटियां ।
गुलाब सी अभिराम है बेटियां ,
मेरे तो श्रीराम ही है बेटियां ।
ममता की मूरत सी है बेटिया,
प्रभात की ओंस की बूंद सी खूबसूरत है बेटियां ।
त्याग की परिभाषा है बेटियां,
जीवन के झंझावात में आशा है बेटियां ।
निर्मल नीर में चंदबिम्ब सी है बेटियां,
सौरभ पल्लव युक्त कदंब सी है बेटियां ।
साँसों का स्पंदन है बेटियां ,
जीवन शोणित का संचरण है बेटियां ।
अलभोर की पहली किरण सी है बेटियां ।
दिन रूपी दुल्हन के आभरण सी है बेटियां ।
पूर्णिमा की चंद्रकला सी है बेटियां ,
ईश्वर की अनुपम कला सी है बेटियां ।
श्याम की मुरली की मधुर तान है बेटियां,
शारदेय वीणा का मधुर गान है बेटियां ।
काली की गंभीर हुँकार है बेटियां ,
कलुषता का गंभीर प्रतिकार है बेटियां ।
मेरे सभी सद्कर्मो का सुफल है बेटियां,
मेरे जीवन आंगन का मंगलफल है बेटियां ।
बेटियां है तो कल, आज औऱ कल है,
बेटियां है तो जीवन का पल, हर पल है ।
बेटियां है तो जीवन अविराम है,
औऱ बेटियां नही तो फिर पूर्णविराम है ।
तो आओ बेटी को बचाने और बढ़ाने की शपथ खाते है,
चलो,इसी बहाने ईश्वरीय सेवा का पथ अपनाते है ।
लेखक---योगेश्वर शर्मा जोनल ग्वालियर इंटेलिजेंस मध्य प्रदेश