डबरा। (पंचमहलकेसरीअखबार एम एस बिशौटिया संपादक)हिंदी साहित्य के पुरोधा श्री रमाशंकर राय नहीं रहे डबरा के जनता स्कूल में रहे शिक्षक ।ओपी सेन 'आजाद' ।

डबरा।( पंचमहलकेसरी अखबार एम एस बिशौटिया) साहित्यिक गतिविधियों को डबरा शहर में सक्रियता प्रदान करने वाले मुक्त मनीषा साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समिति डबरा के संस्थापक सदस्य तथा हिंदी साहित्य के पुरोधा वयोवृद्ध प्रख्यात कवि, साहित्यकार समीक्षक श्री रमाशंकर राय ने अपने पैतृक आवास गांव रेवतीपुर जिला गाजीपुर, वाराणसी में रविवार दिनांक 29 अगस्त 2020 को अंतिम सांस ले ली। वे 78 वर्ष के थे तथा कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। उनके निधन की खबर सुनकर संपूर्ण डबरा नगर के कवि, साहित्यकार और बुद्धिजीवियों में शोक की लहर दौड़ गई । विलक्षण प्रतिभा के धनी स्व.श्री राय साहब की पूर्ति हिंदी साहित्य में कभी नहीं की जा सकती। जिला गाजीपुर उत्तर प्रदेश के ग्राम रेवतीपुर में सन् 1942 में जन्मे श्री राय साहब का जब 5 वर्ष की उम्र में मुण्डन संस्कार हुआ तब ही आपकी मां का देहांत हो गया। पिता श्री राम सिंहासन राय सरकारी शिक्षक होने के कारण नौकरी पर बाहर रहने के कारण दादा-दादी के संरक्षण में आपका लालन-पालन हुआ। ज्ञान की देवी मां सरस्वती की कृपा होने से आप बचपन से ही पढ़ने में होशियार रहे। काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी से सन् 1965 में हिंदी से एम.ए.करने वाले और डबरा नगर में श्री राय साहब के नाम से पहचाने जाने वाले श्री रमा शंकर राय की सर्वप्रथम 160 रुपए प्रति माह मानदेय पर सन् 1966 में जनता स्कूल छीमक में शिक्षक के पद पर नौकरी लगी और एक वर्ष बाद जनता उच्च. माध्यमिक विद्यालय डबरा में हिंदी शिक्षक की कमी होने से आपकी हिंदी शिक्षक के पद पर आपकी नियुक्ति हो गई। और सन् 2005 में आप इसी विद्यालय से प्राचार्य के पद से सेवा निवृत्त होकर अपनी जन्मभूमि से लगाव होने के कारण अपने गांव रेवतीपुर चले गए। 'कविता की और कुछ कदम" के रचनाकार श्रेष्ठ मनीषी चिंतक श्री राय साहब अंतिम सांस तक हिंदी साहित्य का चिंतन करते हुए मौन हो गए। गागर में सागर भरने वाली आपकी अतुकान्त कविताओं ने जहां जनमानस को झकझोरा है वहीं हिंदी साहित्य के कवि साहित्यकार, बुद्धिजीवियों को चिंतन करने पर मजबूर कर देने वाले श्री राय साहब ने कवि सम्मेलन व कविगोष्ठियों को काफी ऊंचाइयां दी । यही कारण रहा कि दूर दूर से आने वाले कवि साहित्यकार आपको सुनने के लिए बड़े उत्साहित रहते थे। मैं शिक्षा व साहित्य के मेरे गुरुवर श्री रमाशंकर राय जी के चरणों में अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं । लेखक ओपी सेन 'आजाद' डबरा 98 2627 6464 ,6264 03 1313


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