हम सब एक हैं
हम सभ के सर पर एक आसमा ,,,,,है
एक सूरज है ,,,,
एक ही चाँद है ,,,,
वायु भी एक है ,,,,
अग्नि भी एक है,,,,
मेरे प्यारों जरा विचार करो
जब प्रकृति ने हमें समान रूप से एक बनाया है
फिर ये नफरत , जात पात ,धर्म के नाम पर देश के टुकड़े करने वाले कौन हैं ।
क्या हम प्रकृति से भिन्न जाने का दुःसाहस कर सकते हैं
इस के परिणाम क्या होंगे।।
चलो कदम से कदम मिलाएं
लिए दिल से दिल को जोड़ें ।और घर घर प्रेम और सदभावना की जोत जलाएं
।।
आप की अपनी
पूजा ठाकुर