अनीता जाटव ने मशरूम की खेती कर आय का साधन बनी "खुशियों की दास्तां 
 


डबरा।मध्यप्रदेश-डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन एवं आत्मा परियोजना के सहयोग से डबरा जनपद पंचायत की ग्राम समूदन निवासी श्रीमती अनीता जाटव पत्नी रामबरन जाटव बहुत ही गरीब घरानेे से हैं उनको समूह केेे माध्यम से जागरुक हो  कर  मशरूम की खेती की।  और खेती से प्रतिदिन 150 से 200 रूपए की आय हो रही है। यह मशरूम की खेती इनकी आय का साधन बनी है।    श्रीमती अनीता जाटव ने मध्यप्रदेश-डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ग्वालियर एवं आत्मा परियोजना के सहयोग से अपने मकान के 100 वर्गफुट के एक कमरे में “आयस्टर मशरूम” के 100 बैगों में मशरूम की खेती शुरू की, जिस पर कुल लागत 5 हजार रूपए आई। जो ऋण सहायता के रूप में समूह से प्राप्त हुई। मशरूम की खेती से प्रतिदिन 5 से 20 किलोग्राम तक उत्पादित हो रहा है। यह मशरूम 150 रूपए प्रतिकिलो के भाव से स्वयं टेकनपुर की हाट में “कंचन मशरूम” के नाम से विक्रय कर रही हैं। जबकि संभागीय हाट बजार ग्वालियर में भी मशरूम को मार्केट मिल रहा है। इस प्रकार मशरूम उत्पादन से श्रीमती अनीता को प्रतिदिन 150 रूपए 200 रूपए की आय हो रही है।श्रीमती अनीता जाटव ने बताया कि उसने दो वर्षों से आजीविका मिशन द्वारा संचालित स्वयं सहायता समूहों से जुड़कर मशरूम की खेती करना शुरू किया। इसके पहले आत्मा परियोजना के माध्यम से मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण लिया। मशरूम प्रोटीन से भरपूर एवं वसा रहित खाद्य पदार्थ है। इनका उपयोग सब्जी, पकौड़े आदि बनाने में किया जाता है



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