पंचमहलकेसरीअखबार |
दतिया ।भारत में हर साल बड़ी संख्या में लड़कियां एवं महिलाएं सफेद पानी (श्वेत प्रदर) की चपेट में आ रही हैं। यह रोग लड़कियों एवं महिलाओं किसी को भी हो सकता है। लड़कियों एवं महिलाओं की जीवनशैली बदल जाने से सफेद पानी की रोगियों की संख्या में वृद्वि हुई है। इसका समय पर उपचार कराना आवश्यक है, पर इसके लिए जागरूकता की जरूरत है। यह कहना है महिला यौन रोगियों का इलाज करने वाली और जिला अस्पताल दतिया में कार्यरत आयुषविंग की प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. भारती वाथम का। डॉ. भारती वाथम के मुताबिक चिकित्सा शास्त्रों के जानकारों ने सफेद पानी की बीमारी से छुटकारा पाने के लिए जड़ी-बूटियों का उपयोग करने वाली पद्वतियों को वैज्ञानिक शोधों में सही और ज्यादा कारगर पाया है। डॉ. भारती के अनुसार यह रोग किसी भी उम्र में हो सकता है। संकोचवश लड़कियां एवं महिलाएं लंबे समय तक इस बीमारी को छिपाती हैं। विवाहित महिलाओं के पति उन्हें चिकित्सक के पास ले जाने में रूचि नहीं लेते हैं। बाद में वे महिलाएं चिकित्सकों को दिखाती हैं। ऐसे में यौन रोग विशेषज्ञों तक रोगी के पहुंचते-पहुंचते रोग काफी गंभीर हो जाता है। ऐसी दशा में अन्य रोगों की चपेट में आ जाने का खतरा भी बढ़ जाता है।डॉ. भारती वाथम ने महिलाओं को इस रोग से बचने की सलाह दी है कि जैसे ही इस रोग के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत स्त्री रोग विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए। अगर किसी लड़की को यह रोग हो जाता है, तो उसकी मां या बड़ी बहन, या भाभी या चाची उसके साथ में जाकर उसे स्त्रीरोग विशेषज्ञ को तुरंत दिखाना चाहिए। इस रोग से पीड़ित को प्रकृति प्रदत्त स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थ का इस्तेमाल करते हुए आयुष पद्वति पर आधारित आयुर्वेद दवा की शरण में जाना चाहिए। इसी में इस रोग से छुटकारा पाना संभव है। उन्होंने बताया कि जिला अस्पताल में कार्यरत आयुष विंग में इस रोग से पीड़ित लड़कियों एवं महिलाओं का नि:शुल्क इलाज किया जाता है। अविवाहित लड़कियों को भी यह रोग हो जाता है, जिन्हें संकोच त्याग कर इस बीमारी का इलाज कराना चाहिए। आयुषविंग में अब तक इस बीमारी से पीड़ित तमाम लड़कियों एवं महिलाओं का उपचार किया जा चुका है। |
आयुर्वेदिक सफेद पानी का सफल उपचार सफेद पानी से बचा सकती है जागरूकता